ब्लॉग/परिचर्चा

क्यों मनाए जाते हैं विशेष दिवस?

देश-विदेश में विशेष दिन मनाए जाने की प्रथा है. अब से कुछ साल पहले ये विशेष दिन बिना किसी विवाद के मनाए जाते थे. विवाद की बात बाद में, पहले विशेष दिन पर कुछ और.
अब कल के दिन को ही लीजिए. 10 अगस्त को ‘डेंगू निरोधक दिवस’ मनाया जाता है. इसी दिन world biofuel day भी मनाया जाता है और विश्व आदिवासी दिवस भी. ‘डेंगू निरोधक दिवस’ पर हमने एक ब्लॉग प्रकाशित किया-

डेंगू बुखार को दूर भगाएं (कविता)

एक सुधी पाठक-कामेंटेटर ने इसे उत्तम और अत्यंत जानकारीपूर्ण बताया. अब यह तो आप जानते ही हैं, कि जानकारी होने पर ही हम बचाव के लिए भी जागरुक हो सकते हैं. बताइए, यह विशेष दिवस मनाना सार्थक रहा या नहीं?
10 अगस्त को ही world biofuel day भी मनाया जाता है. इस अवसर पर पीएम मोदी ने सुनाई किसान और चायवाले के आधुनिक आइडिया की कहानी. इस कहानी के द्वारा प्रधानमंत्री ने बताया कि बायोफ्यूल सिर्फ विज्ञान नहीं है बल्कि वह मंत्र है जो 21वीं सदी के भारत को नई ऊर्जा देने वाला है. बायोफ्यूल यानी फसलों से निकला ईंधन या कूड़े-कचरे से निकला ईंधन. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ये गांव से लेकर शहर तक के जीवन को बदलने वाला है. आम के आम, गुठली के दाम की जो पुरानी कहावत है, उसका ये आधुनिक रूप है. इससे हमारा कितना ज्ञान बढ़ा? हो सकता है, अनेक लोगों को ने आइडियाज़ मिल गए हों.

10 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस भी मनाया जाता है. इस दिन आदिवासियों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है और विशेष रूप से उनके लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी भी दी जाती है.इस जानकारी से आदिवासियों को तो लाभ होगा ही, सबकी जानकारी भी बढ़ती है.
भारत में विशेष दिवस मनाए जाने की एक लंबी सूची है. 

अब बात करते हैं विवाद की. विवाद का कोई कारण नहीं होता. यह बात-बेबात भी हो जाता है. आजकल विवाद का चलन कुछ अधिक ही हो गया है. अब देखिए न! एक मिसाल लेते हैं- Mother’s Day आता है, तो सभी लोग मनाते हैं. विवाद खड़ा करने वाले कहते हैं- ”Mother’s Day साल में एक बार ही क्यों? रोज क्यों नहीं?”

अब बताइए इसमें विवाद की बात कहां से आती है? कौन कहता है- Mother’s Day एक दिन मनाइए. हर रोज मनाइए, जोश से मनाइए, पर एक नियत दिन उनके लिए भी रहने दीजिए. आपको रोज समय नहीं मिलता है, इस दिन एक कप चाय बनाकर उनको पिलाइए, उनको उपहार दीजिए, उनसे उपहार लीजिए, सबको मौज में रहने दें.
भारत में विशेष दिवस कुछ अधिक ही हो जाते हैं. कारण यह है, कि हम अपने देश के विशेष दिवस भी मनाते हैं और पश्चिमी देशों के भी. इन्हें प्रेम से मनाइए, अपनी जानकारी बढ़ाइए, हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.

 

एक ही दिन अनेक विशेष दिवस मनाए जाने के कारण सूची लंबी बहुत अधिक लंबी हो जाएगी. अब देखिए न इस सूची में 10 अगस्त को किसी विशेष दिवस का उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन 10 अगस्त को हमने 3-3 विशेष दिवस मनाए. आइए, हम इतने जागरुक हो जाएं, कि विशेष दिवस मनाने की आवश्यकता ही न पड़े. हां, हमारा विचार है, कि विशेष दिवस मनाएं न मनाएं, विवाद को नहीं पनपने दिया जाना चाहिए.
कामेंट्स में अपने विचार बताना मत भूलिएगा.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “क्यों मनाए जाते हैं विशेष दिवस?

  • रविन्दर सूदन

    आदरणीय बहन जी, आपके कथन से सहमत हूँ क़ि “हम इतने जागरुक हो जाएं,
    कि विशेष दिवस मनाने की आवश्यकता ही न पड़े. हां, हमारा विचार है, कि विशेष
    दिवस मनाएं न मनाएं, विवाद को नहीं पनपने दिया जाना चाहिए”। वैसे तो मनुष्य के
    जीवन का हर दिन हर पल ही विशेष होता है क्योंकि मनुष्य जीवन ८४ लाख योनियों के पश्चात मिलता है और हम इसे मौज मस्ती में बिता देने ही में खो देते हैं । मेरे विचार से व्यक्तिगत रूप से व्यक्ति के लिए उसका वो दिन विशेष होता है जब उसे फिर से बार बार जन्म न लेने की उपलब्धि हो जाती है । यदि व्यक्ति प्रतिदिन याद रखे कि उसके इस जीवन में आने का उद्देश्य क्या है, तो उससे गलती कि संभावना कम होगी और उसे अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में आसानी होगी ।

    • लीला तिवानी

      प्रिय रविंदर भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको ब्लॉग बहुत अच्छा लगा. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    सबसे अहम बात यह है, कि हमारा मूलमंत्र है- वसुधैव कुटुंबकम. पूरे विश्व को अपना समझने और बनाने के लिए हमें हर दिवस प्रेम-मैत्री-सद्भावना दिवस मनाना चाहिए. आइए प्रेम से ऐसा करें.

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