गीत – आजादी की लड़ाई में महिलाओं की भूमिका
आज़ादी की जंग जानो न सुगम थी आसानी से आनी हैं
इसमें छुपी हमारी बीर बिरागनाओ की गाथा अदभुत सुननी हैं
देश पर जालिमों हुये ज़ुल्म की दासता लिखी निशानी है
कैसे भूल सकती भारतवासी मर्दों साथ महिलाएं कुर्बानी हैं ।
देश में थी गर्दन तलबार सी लटकती होती जब मनमानी हैं
कान बंद रखकर लव लिये ताला सीना तानी रची कहानी हैं |
जातपात में भेद बढ़ा फायदे से ललचाते थे दे लालच उनको,
निहित स्वार्थ में डूबी सत्ता बीज पिलाते जहर भी नुरानी है।
इतिहास गवाह है भारत में हुये शहीद जो स्वतंत्रता संग्राम में
ज़हाँ पुरुष था मुश्किल में बीर बिरागना कंधा जोड़ सेनानी हैं |
आजीवन संगिनी कस्तूरबा की पहचान सिर्फ पत्नी ही नहीं थी
आजादी की लड़ाई में उन्होंने हर कदम अपने पति की मानी हैं |
कई बार स्वतंत्र रूप से और गाँधीजी के मना करने के बाद जानी
उन्होंने जेल जाने और संघर्ष में शिरकत करने की सदा ठानी हैं|
बहन विजयलक्ष्मी पंडित आजादी युद्ध शामिल जेल में रही थी बंद
पढ़ी-लिखी ,प्रबुद्ध महिला ने खूब देश-बिदेशो देश प्रतिनिधित्व गानी|
अरुणा आसफ अली ने परिवार और स्त्रीत्व तमाम बंधनों को तोड़
जंग-ए-आजादी को अपनी कर्मभूमि मान स्वीकार सा हौसला दानी हैं|
इतिहास साक्षी पहली आज़ादी में महिलाएँ सड़कों पर नहीं उतरी थीं।
गाँधी जी कहा कि हमारी माँओं-बहनों सहयोग के बगैर संघर्ष नादानीहैं ।“
जिन महिलाओं ने आजादी युद्ध अपने साहस धार दी, वो जिक्र मानी है
बहुत-सी विदेशी महिलाओं पर भारत के व्यक्तित्वों आजादी असर हुआ
जंग आज़ादी पाने के युद्ध की महिलाओं की लिखी इवारत मेहरवानी हैं |
स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन सोच दर्शन अग्रणी भूमिका लानी हैं ।
1857 के संघर्ष में लक्ष्मीबाई के कौशल से तो सब ही परिचित से जाने
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी हैं |
एकेली महिला संगठन किया बिगुल बजाया आज़ादी का क्या खूब लड़ी मर्दानी,
खूब लड़ी दीवानी वो तो झाँसी वाली रानी थी” रानी की वीरता बड़ी कुर्वानी है|
ये क्रांतिकारी आजादी की नींव पत्थर जो कहीं अँधेरों में दबे रौशनी कंगूरे हैं
रेखा आजादी संघर्ष को याद करेंगे, यश तमाम महिलाओं का गौरव बतानी हैं|
— रेखा मोहन