गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

पानी यूँ बरसा हर कोना सा रहा तरसा
जल-थल कही थोडा कही वेहिसाब गहरा
कही तुफान सा तबाही भरा जलवा माना
कुछ दिन अभी आये तो सहना होगा ठहरा
सुमंदर का कतरा काफी हैं रंग जमाने को
नीले रंग पाया पैमाना होश उड़ाने को पहरा
कश्ती भाग रही तेज-ब-तेज ठंडी हवायों में
पानी की लहरों में मुकाबला सा जाना सहरा
छु ना सकी नाविक को उठती लहरे उन्मादी
दिल मचला रेखा बेपनाह जल देख सुनहरा

रेखा मोहन 

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]