राजनीति

देश का सौभाग्य हैं मोदी जी !

आज मैं बहुत प्रसन्न हूँ। चार वर्ष पहले मैंने मोदी जी की योग्यता और दूरदर्शिता पर जो विश्वास व्यक्त किया था, वह समय के साथ खरा उतरा है। अब तो अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी विश्व की सबसे अधिक जिम्मेदार संस्था ने भी कह दिया है कि भारत की अर्थव्यवस्था हाथी की चाल से दौड़ रही है और इसका कारण मोदी जी की सरकार द्वारा अपनायी गयी कठोर आर्थिक नीतियाँ हैं। यह कोई मामूली कथन या प्रचार का बयान नहीं है, जिसे यों ही हवा में उड़ा दिया जाये। यह पूरी तरह जाँच पड़ताल के बाद एक जिम्मेदार संस्था द्वारा दिया गया आधिकारिक वक्तव्य है, जिसको कोई झुठला नहीं सकता।

यह हमारे देश का परम सौभाग्य है कि हमें मोदी जी जैसे प्रधानमंत्री मिले, जो अनेकानेक आलोचनाओं और अप्रसन्नताओं की चिन्ता किये बिना देश की अर्थव्यवस्था को परम वैभव के शिखर पर पहुँचाने को दृढ़ संकल्पित हैं। मेरी दृष्टि में उनका सबसे बड़ा कार्य है ऊपरी स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार को खत्म करना। यह अकेला कार्य ही उनको अगले बीस साल तक सत्ता में बनाये रखने का पर्याप्त कारण है। याद कीजिए राजीव गाँधी का वह वक्तव्य कि ‘सरकारी एक रुपया जनता तक पहुँचते पहुँचते मात्र 15 पैसे रह जाता है।’ इसका सीधा तात्पर्य यह था कि सरकारी एक रुपये का 85 पैसा भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भेंट चढ़ जाता था, जो कि देश के विकास में लगना चाहिए था।

मोदी जी ने आते ही इस भ्रष्टाचार को समाप्त किया। करोड़ों नागरिकों के जन-धन खाते खुलवाकर उन्होंने उनके लाभ की राशि सीधे उनके खातों में डालना शुरू किया, जिससे बिचौैलियों का खेल खत्म हो गया। विकास योजनाओं में टेंडर आदि की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया, जिससे ऊपरी स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म हुआ। और भी अनेक कार्यों द्वारा देश का करोड़ों अरबों रुपयों का फालतू खर्च बचाया गया। अब वह सब बचत विकास में लग रही है और चारों ओर विकास नजर आने लगा है। किसने सोचा था कि कभी सरकार गरीबों को मकान बनाकर देगी? लाखों करोडों का निवेश देश-विदेश से हो रहा है।

जिनको विकास अभी भी नजर नहीं आ रहा उनकी आँखों पर स्वार्थ और ईर्ष्या का चश्मा चढा हुआ है। उनकी बातों में कोई दम नहीं है। बड़े नोटों पर अचानक रोक लगाकर मोदी जी ने काले धन की जड़ पर प्रहार किया था, जिससे बड़े बड़े काले धन वाले तिलमिला गये। पर उसका लाभ आम जनता को मिलने लगा है। आयकर दाताओं की संख्या दुगुनी हो गयी है और आयकर से एकत्र हुई राशि भी उसी अनुपात में बढी है, वह भी आयकर की दर बढ़ाये बिना। जीएसटी जैसी कर योजना लागू करके और उसे पूरी तरह आॅनलाइन करके मोदी जी ने व्यापारियों द्वारा कर की चोरी करने पर प्रभावी रोक लगायी है। यह कोई साधारण सफलता नहीं है।

जो लोग देश को विकास के उच्चतम शिखर पर देखना चाहते हैं, उन्हें पूरे मन से मोदी जी का साथ देना चाहिए और उनके हाथ लगातार मजबूत करते रहना चाहिए।

जय श्रीराम ! नमो नमो !! अबकी बार, चार सौ पार !!!

विजय कुमार सिंघल
श्रावण शु प्रतिपदा, सं 2075 वि (12 अगस्त 2018)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]