वर्तमान विश्व और भारत की काँवड़ यात्रा
दिनांक 10-8-18 को प्रकाशित आपके सम्मानित समाचार पत्र में “काँवड़ यात्री बने कुछ गुँडों ” द्वारा कथित धर्म के नाम पर दिल्ली और बुलन्दशहर में उद्दंडता और अराजकता पढ़कर , उससे ज्यादा समाज में अराजकता को रोकने के लिए बनाई गई पुलिस बल की कायरता को देखकर ,उससे भी ज्यादा मन में विक्षोभ यह सुनकर हुआ, कि एडीजी ,मेरठ ,इन गुँडे , मवाली , असामाजिक तत्वों (काँवड़ियों ) पर हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा किये हैं ।
आज के वैज्ञानिक सोच से ओत-प्रोत ,वैश्विक परिदृश्य को और भारत की इन राक्षसी ,पाषाण कालीन और बर्बर परिदृश्य को देखकर एक प्रबुद्ध व्यक्ति को ये नहीं समझ आ रहा कि भारत में वर्तमान में घट रही घटनाओं के बारे में क्या लिखा -पढ़ा और सोचा जाय ! आखिर हमारा देश आज के आधुनिक युग में कहाँ जा रहा है ? सर्वत्र बलात्कर ,हत्या ,मानव जनित कुकृत्यों से मरते लोग ,दलालों -बिचौलियों के कारण किसानों की दुर्दशा और आत्महत्या , कमीशनखोरों की लालच से अभिशप्त ऑक्सीजन और दवाओं के अभाव में दम घुटकर मरते नवजात शिशु ,भ्रष्टाचारियों की वजह से सड़क में हुए गड्ढों में गिरकर आतंकवादियों और दुश्मनों से सीमा पर मरते जवानों से भी ज्यादे ,कालकलवित होते लोग , बगैर गेट के क्रासिंग पर थोक के रेट में रेल से कुचलकर अकाल मृत्यु को प्राप्त होते बच्चे , एक तरफ कुव्यवस्था से सड़ता अमूल्य अनाज और दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजधानी में भूख से बिलबिला कर मरते गरीब ,नन्हें बच्चे ,कथित गोरक्षा के नाम पर सार्वजनिक रूप से पीट-पीट कर नर हत्याएं, दलित स्त्रियों और पुरूषों को किसी न किसी बहाने कथित ऊँची जातियों द्वारा बेरहमी से कत्ल ! क्या-क्या लिखा जाय !
आज के वैज्ञानिक युग में दुनिया में लोग अपने देश और समाज को ज्यादे से ज्यादे शान्ती ,अमन ,खुशहाली और जीवन को और अधिक सुखमय ,आरामदेह और सुकून भरी जिन्दगी देने के लिए सतत प्रयत्नशील हैं , सूदूर अंतरिक्ष के अत्यन्त विस्मयकारी जटिलताओं को सुलझाने हेतु नये-नये अविष्कार वहाँ के युवा वैज्ञानिकों की जमात कर रही है ,सूर्य जैसे करोड़ों डिग्रीसेंटीग्रेड गर्म तारे के अध्ययन हेतु भी युवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक ,अपने प्रतिभा का सदुपयोग करते हुए, अंतरिक्षयान बनाकर भेज रहे हैं ।
और हमारे देश के अधिकांश युवा प्राचीनकाल की रूढ़ियों ,अंधविश्वासों ,जातिवादी दुराग्रहों ,धार्मिक ढकोसलों को नये आधुनिक युग में समाप्त करने के बजाय ,उसे पुनर्प्रतिष्ठित करने में लगे हैं ,यहाँ की सरकार ,पुलिस प्रशासन और समाज भी इन पथभ्रष्ट युवाओं के इन दुष्कृत्यों को मूक दर्शक ,किंकर्तव्यविमूढ़ या लाचारगी से देख रहा है । आज का यह समय भारतीय इतिहास में सबसे अंधकारमय ,घृणित और शर्मनाक समय के रूप में अंकित होगा ,लिखा जायेगा ,भारतीय इतिहास का यह काल सबसे वहशी और बर्बर युग के तौर पर याद किया जायेगा !
— निर्मल कुमार शर्मा
आपका लेख एकतरफा है. सभी कांवरिये गुंडे नहीं हैं. लाखों में कुछ ऐसे हो सकते हैं. उन पर प्रशासन और न्यायालय कार्यवाही कर रहा है.