कविता

महान भारत देश का गुणगान

आओ आज सवथीनता दिवस पर अपने महान भारत देश का गुणगान करें और इसे स्वच्छ रखने का संकल्प करें,

मेरा भारत महान

भारत माँ के हृदय में बहती, निर्मल पावन गंगा,
सर पे जैसे ताज़ सुशोभित, उज्जवल कंचनचंगा,
विंध्याचल और कैलाश सरीखे , जिसके ऊंचे काँधे,
अड़िग हिमालय प्रहरी जैसा,यहाँ दुश्मन कैसे झांके,

पूर्वांचल में बहती ब्रह्मपुत्र , लेकर अमृत की धारा,
दक्षिण में कृष्णा कावेरी, प्रकृति का दिव्य नज़ारा ,
माँ की पवित्र गोद जैसी है ,यहाँ पर कितनी नदियां,
जिनका करें गुणगान यहाँ तो, बीत जाएँगी सदियां,

पाप विनाशक मुक्ति दायिनी ,हरिद्वार’हर कि पौड़ी’
ममता के विशाल सागर की जननी, ‘गौ मुख’ गंगोत्री,
गंगा यमुना सरस्वती मिलन , कितना पवित्र है संगम,
देवों और ऋषियों का कुम्भ, यहाँ देखो दृश्य विहंगम

पूरब से पश्चिम तक करता, विशाल सागर आलिंगन,
सोने के प्रतिरूप चमकता खेतों में अन्न का कण कण ,
वेद ग्रंथो में अथाह ज्ञान है,निहित इनमें जीवन का सार,
श्रीकृष्ण की गीता ही दर्शाती ,सब जीवन कर्मो का आधार,

हरियाली खेतों में छाये, यहाँ फूलों से उपवन महकाएं,
गौ माता की पूजा करके , अपना जीवन सफल बनायें,
आओ हम सब मिल कर, अपनी धरती को स्वर्ग बनायें,
अब कहीं ना फैलने दे प्रदूषण, घर आँगन में वृक्ष लगाएं,

घर घर हो प्रकाश अलोकिक, मिल शुद्धता के दीप जलाये,
संस्कृति की धरोहर यह धरती यहाँ रह कर पुण्य कमाएँ,
पर्यावरण की रक्षा के हित, नदियों में दूषित जल न बहाएं,
स्वच्छता में ही ईश्वर है, इस सत्य को हम मिलकर अपनाएं ,

—- जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845