वसुन्धरा पुकारती है
वसुन्धरा पुकारती है वीर तुम कहाँ खड़े।
वक्ष चीरने को धूर्त पुत्र है यहाँ खड़े।।
दुष्ट वंश वेलियाँ हैं यहाँ तानी हुई।
टुकड़े करने के लिए ये यहाँ तानी हुई।।
कह रहे हैं हिन्द को मिटा के ही रहेंगे हम।
आर्य के सूर्य को बुझा के ही रहेंगें हम।।
सब सनातानीय ग्रन्थ आज तो जलेंगे अब।
पाप की आग में धर्म तो जलेंगे अब।।
है खड़ा तू मौन क्यों चल उठा ले अब खड़ग।
वार कर, प्रहार कर, संहार कर तू बेधड़क।।
।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761