जीवन
उदासियों के घेरे में बुलंदियों की ऊंचाई है ,
तन्हाई है वहां जिसके मन मे सच्चाई है ।
प्रेम का समर्पण सिर्फ मजाक लगता है ,
अरमान मंजिलों के दर्द की रोशनाई है ।
पतझड़ है संदेशा बहार के आने का ,
खुशियां हैं भरम प्रेम के पैमाने का ।
गुजर जाती है जिंदगी दूसरों को मनाने में ,
वजूद अपना मयखाने के जैसा है ।
मधुशाला है जीवनयापन आज का
नशा मंजिलों का आज का जीवन है ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़