कविता

खुद में ही वह सब कुछ है

मैं दुविधा में, क्या लिख दूँ, खुद में ही वह सब कुछ है,
कौन सी दे दूँ मैं उपमायें, खुद में ही वह सब कुछ है।
कर्मों से अपने बतलाया , वह तांडव नर्तन है शिव का,
बढ़ते जीवन से दर्शाया, खुद में ही वह सब कुछ है।।

यम से जिसने आँख मिलाकर जीना हमें सिखाया है,
डरा तनिक ना अमरीका से लड़ना हमें सिखाया है।
चले छोड़कर आज हमें शून्य हुये हैं बिन उनके,
अटल-अटल थे अटल रहेंगे सत्य हमें सिखलाया है।।

वह हिन्दू थे हिन्दू का सम्मान सदा ही बढ़ाया,
मजहब का उन्मादी उनको कभी नहीं था भाया।
चाह यही थी प्रेम यहाँ पुष्पित हो घर आँगन में,
इसी लिए जन-जन का साथी बनकर कदम बढ़ाया है।।

।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं