मुक्तक/दोहा

मुक्तक

भरे जो मेघ नैनों के, बरसना भी जरूरी था
गिले शिकवे दिलों में थे, गरजना भी जरूरी था
सहजता से मिले कुछ तो, कदर उसकी नहीं होती
अहमियत एक दूजे की, समझना भी जरूरी था

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]

4 thoughts on “मुक्तक

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    बहुत खूब. हार्दिक बधाई .

    • नीतू शर्मा

      प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आदरणीय🙏

  • राजकुमार कांदु

    वाह ! बहुत सुंदर !

    • नीतू शर्मा

      बहुत बहुत धन्यवाद.

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