जब न ढले दर्द भरी दुपहरी, तुम चले आना।
जब मुस्कुराए संध्या सुंदरी, तुम चले आना।
राह तकते तकते शाम सुहानी ढल जाए।
चांद की पलकों पे कोई काजल मल जाए।
जब सरसराए कोई नीलगिरी तुम चले आना।
जब हर एक दिशा प्यार की रागिनी छेड़े।
फूल चुभने लगे नर्म नर्म चांदनी छेड़े।
जब पवन सुनाए कोई कजरी तुम चले आना।
तेरे लिये ख्वाब बुने तेरे लिये गीत लिखा।
तेरी ही आरजू है मुझको मिले तेरी वफ़ा।
तुम बन के मेरे ख़्वाबो की परी तुम चले आना।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”