कविता

मेरा कान्हा

सुनो तो कान्हा ओ मेरे कान्हा,
देख तेरी दासी पुकारे ,
तेरा नाम ।।।।
कदम्ब के नीचे ,करे तेरा इंतजार ,
आजा ,आजा ,अब तो आजा ,
एक बार आजा
आके मुझे सुना जा ,
धुन तेरी बंसी की,
देख तुझे रीझाने को,
माखन मिश्री लाई हूँ,
आजा तू जमुना के तट ,
तेरी राह तक रही हूं ,।
बन कर गोपी प्यारी,
तुझ संग रास रचने को,
किया मैंने शृंगार,
आजा तेरी राह देख रही हूँ ।
सुन तो कान्हा अब तो आजा,
देख तुझे अकेले आये लाज,
तो ले आना सबको साथ ,
चाहे हो राधा, हो रुक्मण ,
या हो सारी पटरानी ,
एक बार आज ,
धुन मुरली की तू सुना जा ,

— सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।