दिवाना
तेरे बिन लागे ना मन मेरा दीवाना हो गया।
ख़्वाहिश में तेरी बावरा मस्ताना हो गया।
सुनता नहीं कीसी की कैसे इसे संभालें
ऐसी लगन लगी है कुछ भी न देखे भाले
चाहत में तेरी दुनियां से अंजाना हो गया।
ख्वाहिश में तेरी बावरा मस्ताना हो गया।
तेरी तलाश में भटक २हा जनम जनम
फिर भी न हो पाया कहीं दीदार-ए-सनम
आंखें भर आई मौसम सुहाना हो गया।
ख्वाहिश में तेरी बावरा मस्ताना हो गया।
आ सांवरे सलोने तुझे ऐसे मैं सजाऊं,
कंगन तुझे चढ़ाके अपना मैं बनाऊँ,
लौ प्यार की जला के परवाना हो गया ।
ख्वाहिश में तेरी बावरा मस्ताना हो गया।
— पुष्पा “स्वाती”