मेरा कान्हा
सुनो तो कान्हा ओ मेरे कान्हा,
देख तेरी दासी पुकारे ,
तेरा नाम ।।।।
कदम्ब के नीचे ,करे तेरा इंतजार ,
आजा ,आजा ,अब तो आजा ,
एक बार आजा
आके मुझे सुना जा ,
धुन तेरी बंसी की,
देख तुझे रीझाने को,
माखन मिश्री लाई हूँ,
आजा तू जमुना के तट ,
तेरी राह तक रही हूं ,।
बन कर गोपी प्यारी,
तुझ संग रास रचने को,
किया मैंने शृंगार,
आजा तेरी राह देख रही हूँ ।
सुन तो कान्हा अब तो आजा,
देख तुझे अकेले आये लाज,
तो ले आना सबको साथ ,
चाहे हो राधा, हो रुक्मण ,
या हो सारी पटरानी ,
एक बार आज ,
धुन मुरली की तू सुना जा ,
— सारिका औदिच्य