ग़ज़ल
बड़े नादा है वो इतना भी जानते ही नहीं
किसीके दिल में यूं ही जगह नहीं मिलती।
शम्मा जलने का कुछ तो कोई मतलब है
बेवजह रात भर जल के ये नहीं जलती।
मुझे उम्मीद है आओगे एक दिन चलकर
बिना उम्मीद के ख्वाहिश कभी नहीं पलती।
इश्क़ करना है तो सुकून दांव पर रखदो
ये वो शय हैं जहां राहत कभी नहीं मिलती।
कितनी पन्नों पे दास्तां दिल की कह डाली
सामने तेरे कभी मेंरी जुबां नहीं खुलती।
साथ में मेरे तेरी यादों का कारवां है सुनो
आजकल जानिब तंन्हा कभी नहीं चलती।
— पावनी जानिब