केरल का कहर
बहुत दिनों से केरल में बाढ़ का कहर चल रहा है. बाढ़ से जूझ रहे केरल में अब हालात धीरे-धीरे सुधर रहे हैं. शुक्रवार और शनिवार को बारिश में कमी के बाद अब सरकार ने सूबे के सभी 14 जिलों से रेड अलर्ट हटा लिया है. बाढ़ की विभीषिका के चलते मई से अब तक मरने वालों की संख्या 350 के पार हो गई है. 9 अगस्त के बाद से 196 लोगों की मौत हो चुकी है. शनिवार को ही 22 लोग बाढ़ के चलते असमय काल के गाल में समा गए. फिलहाल 6,61,887 लोग 3,466 रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं.
शनिवार को पीएम मोदी ने बाढ़ प्रभावित कई इलाकों का सर्वे करने के बाद 500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया. यही नहीं उन्होंने मृतकों के परिजनों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की राहत राशि का भी ऐलान किया. यह राशि प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष से जारी की जाएगी. राज्य सरकार ने भी शुरु से ही बाढ़-राहत में भरपूर सहायता की है.
इस बीच राहत और बचाव की कुछ अच्छी खबरें भी आ रही हैं, लेकिन स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है. अच्छी खबरें-
केरल: बाढ़ में फंसे 10 दिन के बच्चे को कोस्ट गार्ड के जवानों ने बचाया
केरल बाढ़: एसडीआरएफ ने दो महीने के मासूम को बचाया, सामने आया विडियो
केरल: बाढ़ से बचाने में मदद कर रहे हैं इसरो के 5 सैटलाइट्स
तीन दिन पहले नेवी की टीम ने एक गर्भवती महिला को सुरक्षित बचाया था. महिला ने एक बाद में एक बेटे को जन्म दिया. मां और बेटा दोनों अब एकदम सुरक्षित हैं.
इंडियन नेवी ने केरल में रेस्क्यू ऑपरेशन में पूरी ताकत झोंक दी है. लगातार लोगों को एयरलिफ्ट किया जा रहा है और राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है.
केरल बाढ़ पर सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि कोच्चि नौसेना हवाई पट्टी को सोमवार से वाणिज्यिक उड़ानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. सभी मोबाइल ऑपरेटरों ने केरल में मुफ्त एसएमएस और डेटा सेवाओं की पेशकश की है.
केरल के बाढ़ पीड़ित ऑफलाइन रहने के दौरान भी अपने ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन या टैबलेट की मदद से अपनी सटीक लोकेशन का प्लस कोड जेनरेट कर उसे साझा कर सकते हैं, ताकि जहां वे फंसे हुए हैं, उसकी सटीक जानकारी मिल सके और राहत दल के लिए उन तक पहुंचना आसान हो. गूगल ने शनिवार को यह जानकारी दी. यूजर्स अपने प्लस कोड्स को वॉयस कॉल या एक एसएमएस के माध्यम से शेयर कर सकते हैं.
केरल में बारिश धीमी हुई, लेकिन अब रिलीफ कैंपों में बढ़ा बीमारियों का खतरा. केरल में आई जल प्रलय का कहर रविवार को कुछ कम होता दिखाई दिया है. शुक्रवार से बारिश कम होने के चलते स्थिति में यह सुधार दिखा है, हालांकि अब रिलीफ कैंपों में ठहरे करीब 20 लाख लोगों के बीमारियों के शिकार होने का खतरा पैदा हो गया है.
केरल की इस विकट जलप्रलय की दुःख की घड़ी में हम सब भी भी केरल के साथ हैं, आइए हम भी अपनी-अपनी पहुंच के अनुसार मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाएं.
लीला बहन , यह बहुत ही कष्ट भरा वक्त है .रोज़ सुबह ख़बरें देखते हैं .देख कर बहुत दुःख होता है . जो बचाने में दिन रात एक कर रहे हैं उन को बिग सैलिऊत . मोदी जी का भी बहुत धन्यवाद करना बनता है . ऐसे समय में मदद की सख्त जरूरत है .
प्रिय गुरमैल भाई जी, सच में यह बहुत ही कष्ट भरा वक्त है .रोज़ सुबह ख़बरें देखते हैं, देख कर बहुत दुःख होता है. बचाने वालों को बहुत-बहुत नमन. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
कई आईएएस अफसर खुद राहत एवं बचाव कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। वहीं, मछली पकड़ने गए 600 से ज्यादा मछुआरों को जब खबर मिली कि राज्य में बाढ़ आ गई है तो वे अपनी नौकाएं लेकर वापस आ गए जिससे लोगों की जान बचाई जा सके।
हजारों की संख्या में महिलाएं, बच्चे और कॉलेज स्टूडेंट्स लगातार बिना किसी पैसे के बाढ़ से पीड़ित लोगों के लिए कपड़े, खाने की चीजें, दवाएं आदि इकट्ठा कर रहे हैं, जिससे इसे राहत शिविरों में भेजा जा सके। केंद्रीय पर्यटन मंत्री केजे अल्फोंस ने रविवार को रात शिविरों का दौरा किया और कहा कि ये सभी ‘गुमनाम हीरोज’ हैं।
केंद्र और राज्यों की सरकारें ही नहीं, नेता, कर्मचारी और आम लोग भी अपनी सैलरी केरल के लिए दान कर रहे हैं। कई मुस्लिम संगठनों ने बकरीद पर खर्च घटाकर केरल बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद भेजने की अपील की है।