क्षणिका

बरखा से गुजारिश

अभी राह में हूँ । ऐ बरखा!
जरा थम के बरस ।
या लगा लेने दे, दो घूंट “मैं” के !
फिर फिक्र क्या, तू जम के बरस !!

नीरज सचान

Asstt Engineer BHEL Jhansi. Mo.: 9200012777 email [email protected]