एक वही सबका पालक है…
एक वही सबका पालक है
क्या तुमको इसमें भी शक है
नालायक तो है नालायक
जो लायक है वो नायक है
छीन सके ताकत है किसमें
वो देता है जिसका हक है
खोट नही है उसके मन में
तेरा हर शंशय नाहक है
संसद में होता हंगामा
सिर्फ़ सियासत का नाटक है
कोई है जो अब भी दिल पर
रह रह कर देता दस्तक है
जो कुर्बान हुए हैं उनके
सजदे में झुकता मस्तक है
सतीश बंसल
२२.०८.२०१८