कविता

फूलों की कविता-13

                                                फूलों की 21 कविताएं से संग्रहीत

13. प्रभु की देन से प्यार किया

हम पंकज हैं, पंक से जन्मे,

पंक में रहते, पर न्यारे।

जो जग में निर्लिप्त हो रहते,

सचमुच वे हैं प्रभु के प्यारे॥

कीचड़ में भी सुंदरता का,

प्रभु ने है वरदान दिया।

हमने भी दामन फैलाकर,

प्रभु की देन से प्यार किया॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “फूलों की कविता-13

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत सुन्दर रचना लीला बहन .

  • लीला तिवानी

    फूलों के इस अनुपम संदेश से भला हम क्यों नहीं कुछ सीख सकते!कीचड़ में भी सुंदरता का,प्रभु ने है वरदान दिया।हमने भी दामन फैलाकर,प्रभु की देन से प्यार किया॥

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