आरक्षण
जब बचा नही है कुछ जेबो मे,
लुट जाने का गम क्या होगा ।
जो जीवन भर मरता ही रहा,
उसे मरने का गम क्या होगा ।।
जो ज्ञान, शान के मालिक थे,
जो विश्व गुरू ,हिन्द बनाये थे।
वो झेल रहे .गम वरसो से,
और दुर्भाग्य , देश का क्या होगा ।।
नफरत के बीज नेतावो ने,
कुर्सी की मोह मे बोया है ।
वो फसल बबूल की अब उग आई,
वो आम कहाँ से अब होगा ।।
— हृदय जौनपुरी