कविता

कान्हा

यदि हो तो, बाट लगा दो,
दुश्मन को औकात बता दो,
हे कहैया, मुरलीधर, मोहन,
फिर मुरली की तान बजा दो ।।

नरको जैसा हाल बना है,
ये सारा संसार फंसा है,
कंस बहुत बौराये है सब,
सबकी अर्थी तत्काल सजा दो।।

गैया सब मोहन, बिलख रही है,
तेरी बगिया सब , सूख गयी है,
सूख गयी है बृज की सब पोखरी,
अब राजा बन , इन्साफ दिला दो ।।

हे कान्हा ,शोषण भारी है,
नही सुरक्षित कोई नारी है,
ईमान बहुत अब, है गिरा मुरारी,
कोई तो आकर, राह बना दो।

हृदय जौनपुरी

,

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से