कान्हा
यदि हो तो, बाट लगा दो,
दुश्मन को औकात बता दो,
हे कहैया, मुरलीधर, मोहन,
फिर मुरली की तान बजा दो ।।
नरको जैसा हाल बना है,
ये सारा संसार फंसा है,
कंस बहुत बौराये है सब,
सबकी अर्थी तत्काल सजा दो।।
गैया सब मोहन, बिलख रही है,
तेरी बगिया सब , सूख गयी है,
सूख गयी है बृज की सब पोखरी,
अब राजा बन , इन्साफ दिला दो ।।
हे कान्हा ,शोषण भारी है,
नही सुरक्षित कोई नारी है,
ईमान बहुत अब, है गिरा मुरारी,
कोई तो आकर, राह बना दो।
— हृदय जौनपुरी
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