मुक्तक/दोहा

रक्षा बंधन पर रमेश के दोहे

बहना का तो प्यार है,    भाई का विश्वास !
राखी की इस डोर में,रिश्तों का अहसास !!
उत्साहित है हर नगर ,शहर गली बाजार !
रक्षा बंधन का पुनित, …आया है त्यौहार !!
राखी का त्योहार है,,,सजने लगी दुकान !
हर बहना के हाथ में,  दिखता है मिष्ठान !!
फीका फीका सा लगे, राखी का त्यौहार !
जी अस टी के साथ मे,आया जो इस बार!!
कन्या भ्रूण का कोख में, करते है सँहार !
खतरे में लगने लगा,बहनों का त्यौहार !!
हो जाता है कोख में, कन्या भ्रूण सँहार !
कैसे होगी भावना,  राखी की साकार !!
कन्याओं के साथ में, ..किया हुआ खिलवाड़ !
दुनिया को ही एक दिन ,देगा सकल उजाड़ !!
बेटे को इज्जत मिले,. बेटी को दुत्कार !
रक्षाबंधन का वहां,रहा नहीं फिर सार !!
रिश्तों के इतिहास मे, शोभित है भूगोल !
भ्राता भगिनी नेह के,,ये बंधन अनमोल !!
रिश्ता मीठा इस तरह,ज्यों मिश्री का घोल !
बहन भ्रात के बीच का,ये बंधन अनमोल ! !
रहे हमेशा बीच मे,हम दोनो के प्यार !
राखी मेरी भ्रात ये, कर लेना स्वीकार !!
जीवन मे होना नही,कभी आप नाराज !
भाई मेरो नेह की,   रख लेना ये लाज  !!
भ्रात – बहन के बीच मे,रहे हमेशा प्यार !
दर्शाता है ये हमें, ……राखी का त्यौहार !!
रमेश शर्मा, मुंबई 

रमेश शर्मा

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