गीतिका
उदासियों को दूर भगाने की कोशिश करती हूँ,
बस रोते हुए को हँसाने की कोशिश करती हूँ।
मुरझाए हुए चेहरे अच्छे नहीं लगते हैं मुझे,
उन पर मुस्कान लाने की कोशिश करती हूँ।
आज दुःखों से भरी हुई है जिंदगियां सभी की,
खुशियाँ दामन में सजाने की कोशिश करती हूँ।
आँखें खुल गयी हैं मेरी श्रीमद्भगवद्गीता पढ़कर,
बस मोह का पर्दा हटाने की कोशिश करती हूँ।
शिक्षा के उजियारे से अज्ञानता भगाना कर्म मेरा,
हर पल अपना फर्ज निभाने की कोशिश करती हूँ।
“सुलक्षणा” जिनकी आवाज कोई नहीं सुनता,
उनके लिए कलम चलाने की कोशिश करती हूँ।
— डॉ सुलक्षणा