प्यार में वो अश्क दामन भर गये
31/8/18
प्यार में वो अश्क दामन भर गये |
हाय यों लगता निकल गौहर गये |
बेसबब भटका किये हम दर ब दर-
बन्द पलकें ख्वाब सारे मर गये |
लफ्ज़ सारे हो गये खामोश अब –
अश्क आँखों से भी सारे झर गये |
मेरा कुछ बाकी नही मुझमें रहा –
वो गये क्या संग मेरे तेवर गये |
तोड़ कर मेरा भरोसा हर भरम –
इस तरह तन्हा जहाँ में कर गये |
जिस चमन से ताजगी पाया किये –
उस चमन के फूल सारे हर गये |
वक्त लम्हा ज़िन्दगी की दौड़ में –
कितने काँटे पाँव के अंदर गये |
धूम मस्ती के झरोखे सज उठे –
जब कभी हम दोस्तों के घर गये |
कुछ “मृदुल”यादें सुहाने रंग कुछ –
देह में फिर प्राण नूतन भर गये |
मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल “