‘महा शतावधानी’
”बधाई हो, आप कल ‘महा शतावधानी’ बन जाएंगे.” 17 वर्षीय जैन साधु मुनि पद्म प्रभचंद्रसागर से साक्षात्कर्त्ता ने कहा.
”जय जिनेंद्र जी की कृपा रही तो.” मुनि का जवाब था.
”’महा शतावधानी’ में 3 शब्द हैं, महा, शत, अवधान. महा का अर्थ तो हम जानते हैं- महान, बड़ा या फिर अनेक, शत का अर्थ सौ या सैकड़ा होता है, कृपया आप अवधान का अर्थ बताएं.”
”देखिए, ‘अवधान’ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए संपूर्ण गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. शतावधानी उस व्यक्ति को कहा जाता है, जो एक वक्त में 100 चीजों को याद रख सकता है.”
”निश्चय ही महा शतावधानी उस व्यक्ति को कहते होंगे, जो दो सौ या दो सौ से अधिक चीजों को एक वक्त में याद रख सके.”
”बिलकुल ठीक समझे आप.” मुनि ने कहा.
”यानी यह याददाश्त पर आधारित कला है यह? तब तो यह हम सबके लिए भी बड़े काम की है.” साक्षात्कर्त्ता उत्साहित थे, ”कृपया बताएं, यह कैसे संभव हो पाता है?”
”देखिए, इसके लिए दो चीजों की विशेष आवश्यकता है- एकाग्र रहने के लिए साधु शांति और ध्यान केंद्रित करने जैसी कई तरकीबें अपनाते हैं. बाकी साहस, धैर्य, लगन और उत्साह के बिना तो यह कठिन तपस्या सफल हो ही नहीं सकती.” मुनि का कहना था.
”चलिए, आप अपनी कठिन तपस्या जारी रखिए और कल की परफॉर्मैंस की तैयारी कीजिए, मैं भी 200 सवालों का जवाब देने की आपकी कल की सभा में उपस्थित होने की कोशिश करता हूं. जय जिनेंद्र” साक्षात्कर्त्ता उठ खड़े हुए.
”जय जिनेंद्र.” कहते हुए मुनि तत्काल ध्यानावस्थित हो गए.
17 वर्षीय जैन साधु मुनि पद्म प्रभचंद्रसागर 2 सितंबर को अपनी याददाश्त का कमाल दिखाएंगे। दरअसल, वह बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में 200 सवालों को लेकर निश्चित क्रम में उनका जवाब देंगे। उनकी विलक्षण याददाश्त का कोई मुकाबला नहीं है, यह दर्शाने के लिए वह लोगों को लगातार सवाल करने की इजाजत देंगे। उदाहरण के तौर पर लोग उनसे चाहे सवाल नंबर 44 पूछें या फिर 67, लेकिन वह इसके जवाबों के माध्यम से मजबूत याददाश्त को लोगों के सामने रखेंगे।