कुण्डली/छंद

शुभ कृष्णजन्माष्टमी …जिद्दी लल्ला

#जिद्दी_लल्ला….😊

रूठ गयो है कान्हा मेरो थकी मना महतारी।
माखन मिस्री से न माने लगी बुरी लत भारी।
जिद कर बैठो ऐंठ के बैठो नन्हों कान्हा मेरो-
फोन दिलाय दे मोकू बस तू मैया मोरी प्यारी।

खीझ गयी फिर मैया झट से बोली चन्दा ला दूँ।
लेकिन सुन ले लाला तोकूँ फ़ोन कभी मैं ना दूँ।
पीताम्बर ये माखन मटकी मोकू गिरवी रखवा।
लेकिन मेरी मैया बस इक़ फोन नयो तू दिलवा।

फ़ेसबुक एकाउंट बनाऊं फोटू नए नए खींचूं।
गोल गोल अधरों को करके कभी आंख मैं मींचू।
मैया मोरी बात मान ले वरना फोडूं मटकी।
आज से पहले कभी न मैने कोई गागर पटकी।

अड़ा हुआ था जिद्द पर लल्ला मैया फिर घबराई।
गोकुल की गलियों में जाकर करे न ये दंगाई।
हार गई माँ जिद के आगे फोन नयो दिलवायो।
अब तो लल्ला ने खुश होकर माखन मिश्री खायो।

©® अनहद गुंजन अग्रवाल

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*