“कुंडलिया”
आती पेन्सल हाथ जब, बनते चित्र अनेक।
रंग-विरंगी छवि लिए, बच्चे दिल के नेक॥
बच्चे दिल के नेक, प्रत्येक रेखा कुछ कहती।
हर रंगों से प्यार, जताकर गंगा बहती॥
कह गौतम हरसाय, सत्य कवि रचना गाती।
गुरु शिक्षक अनमोल, भाव शिक्षा ले आती॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी