निकट का लक्ष्य
बारहवीं कक्षा के अब कुछ ही महीने शेष थे पर विनय समझ नहीं पा रहा था कि वह किस दिशा में जाए। अपनी समस्या ले कर वह अपने चचेरे भाई के पास गया। उसकी बात सुन कर वह बोले।
“देखो यह तो सही है कि तुम्हें कोई ना कोई राह चुननी पड़ेगी। यह चुनाव तुम्हें पहले कर लेना चाहिए था। किंतु अभी तो तुम्हारा सारा ध्यान निकट के लक्ष्य पर होना चाहिए।”
“वो क्या भइया…”
“सब कुछ बारहवीं के नतीजे पर निर्भर है। तुम अभी सारा ध्यान उधर लगाओ।”
विनय को बात समझ आ गई। वह बारहवीं में अच्छे अंक लाने की तैयारी करने लगा।