रैन बसेरा
दुनिया है एक रैन बसेरा
कौन यहाँ हमेशा ठहरा
रात मुसाफिर विदा लेगा सवेरा
हो जायेगा फिर भूला बिसरा
दुनिया है एक रैन बसेरा ।
पंच तत्वों से बना जो तन
उसमें बसता एक सुंदर मन
मन-घट भर लो प्रेम रतन धन
सबसे अनमोल जो जग में ठहरा
दुनिया है एक रैन बसेरा ।
द्वेष,क्लेश में न गंवा एक पल
समय फिर तुझसे करेगा छल
बह जायेगा जैसे नदी का जल
लौटेगा न पल ये दोबारा
दुनिया है एक रैन बसेरा ।
कर्म बिन जीवन मृत्यु सम
पूरे करले हिस्से के कर्म
कर्म ही जीवन का बड़ा धर्म
हर पल पर है ईश का पहरा
दुनिया है एक रैन बसेरा ।
काम ऐसा कुछ कर जा आज
जग तुझ पर करेगा नाज़
बंधेगा तेरे सर पे ताज़
रचेगा इतिहास नया सुनहरा
दुनिया है एक रैन बसेरा ।
टूटे जो स्वप्न वीणा के तार
नये स्वप्नों को दे आकार
छेड़ेगी वीणा सुरीली झंकार
आनन्दित होगा मन-गलियारा
दुनिया है एक रैन बसेरा ।
पूर्णतः मौलिक- ज्योत्स्ना पाॅल