बाल गीत (लावणी छन्द)
बढ़े चलो हे वीर सिपाही
व्यर्थ न समय गवांना है ।
क्यों उदास तुम बैठ गए हो
समय लौट कब आना है …..
कोई छोटा बड़ा नहीं है
सब उस प्रभु के बने हुए
कभी बचाते हैं पत्थर भी
राई से भी घाव हुए ।
उस ईश्वर को नमन करो तुम
उससे सभी जमाना है ।।
समय लौट कब आना है …..
सच्चाई का दीप जलालो
ज्ञान पुंज मन मे भर लो ।
मिट जायें दुख के अँधियारे
चेतनता पग-पग भर लो ।
छू लो हर दिन नए क्षतिज को
लक्ष्य यही अब पाना है।।
समय लौट कब आना है …..
कंटक राहों में पाओगे ।
किंतु नही तुम डर जाना
देश प्रेम का जज्बा रख लो
नही कभी तुम घबराना ।
पीछे मुड़ कर अब मत देखो
आगे कदम बढ़ाना है ।।
समय लौट कब आना है …..
— रीना गोयल