कविता

वो लम्हा

वो लम्हा जो
चांद से चुराकर तुमने
मेरी हथेली में चुपके से
रख दिया था।
वो एक लम्हा
जब तुमने
थाम कर हाथ, जिन्दगी
कर दी थी मेरे नाम।
वो एक नाम
जो नेह की चासनी
में डुबाकर
मेरे कानों में अमृत घोला था।
बरसों बीत गए
थमा है,
वो एक लम्हा
मेरे दिल की धड़कनों में।
अमिता शुक्ला 

अमिता शुक्ला

जन्म - 6-1-1972 पिता - स्व. श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ल माता - श्रीमती विंदेश्वरी देवी शिक्षा - स्नातक काव्य लेखन शैली - हास्य-व्यंग्य , श्रंगार (गीत, गजल, कविता , मुक्तक, दोहा, छन्द , हाइकू) काव्य सृजन - वर्ष 1985 से मंचीय काव्यपाठ -शैक्षणिक समारोह में रचना प्रकाशन - शब्द माला ( कविता संग्रह ) सम्मान व पुरस्कार - शैक्षणिक व राज्य स्तरीय कहानी सुनाने की प्रतियोगिता में सम्पर्क सूत्र -मो. गढ़ी पुवायाँ , शाहजहाँपुर (उ.प्र.242401 मो. 8004657675