वो लम्हा
वो लम्हा जो
चांद से चुराकर तुमने
मेरी हथेली में चुपके से
रख दिया था।
वो एक लम्हा
जब तुमने
थाम कर हाथ, जिन्दगी
कर दी थी मेरे नाम।
वो एक नाम
जो नेह की चासनी
में डुबाकर
मेरे कानों में अमृत घोला था।
बरसों बीत गए
थमा है,
वो एक लम्हा
मेरे दिल की धड़कनों में।
— अमिता शुक्ला