कविता

आओ हिंदी दिवस मनाएं

आओ हिंदी दिवस मनाएं,
अंग्रेजी के चरण पखारें, हिंदी को धकियाएं,
गंगा-यमुना की घाटी में , आंग्ल-ध्वजा लहराएं.
आओ हिंदी————————————-,
आंग्ल वाणी में ज्ञान बसा है, हिंदी पिछड़ों की भाषा है,
अंग्रेजों तुम भारत आओ, हम सबको इंग्लिश सिखलाओ,
पिछड़ी पट्टी की भाषा को, दूर चलो धकियाएं,
आओ हिंदी—————————————,
एक दिवस हिंदी को अर्पित, शेष दिवस अंग्रेजी जय हो,
एक दिवस हिंदी का वंदन, शेष दिवस हिंदी का क्षय हो,
हिंदी का उत्सव आया है, उसको श्रद्धा-सुमन चढ़ाएं,
आओ हिंदी——————————————-,
“प्यारे जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हें”, पर न जगे तुम,
महाप्राण का काव्य थक गया , बापू के सपने सब टूटे,
स्वाभिमान का भाव सुप्त है, हम सोते को कहाँ जगाएं,
आओ हिंदी दिवस मनाएं,

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें :1.अरुणाचल का लोकजीवन 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य 3.हिंदी सेवी संस्था कोश 4.राजभाषा विमर्श 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा,विश्वभाषा 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह) 17.मणिपुर : भारत का मणिमुकुट 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति 20.असम : आदिवासी और लोक साहित्य 21.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य 22.पूर्वोत्तर भारत : धर्म और संस्कृति 23.पूर्वोत्तर भारत कोश (तीन खंड) 24.आदिवासी संस्कृति 25.समय होत बलवान (डायरी) 26.समय समर्थ गुरु (डायरी) 27.सिक्किम : लोकजीवन और संस्कृति 28.फूलों का देश नीदरलैंड (यात्रा संस्मरण) I मोबाइल-9868200085, ईमेल:- [email protected]