भुला के वादे…
भुला के वादे… भूला के कसमें
लाए डोली किसी ओर की सजना।
उतर के डोली, जब आँगन तेरे,
उसने पायल छनकाई थी…
सच कहना एे साजन मेरे,
तुम्हें याद मेरी क्या आई थी ?
कन्धे पर सर, रख कर तेरे
गुजरते थे कभी… दिन रात ये मेरे।
सामने आ जब, उसने तेरे
चूड़ी अपनी खनकाई थी…
सच कहना एे साजन मेरे,
तुम्हें याद मेरी क्या आई थी ?
बेकरार लम्हों में…
शरमा कभी हस के
लिपट के उसने, अपनी खुशबू से
जब साँसें तेरी महकाई थी…
सच कहना एे साजन मेरे,
तुम्हें याद मेरी क्या आई थी ?
— अंजु गुप्ता