गीत/नवगीत

गीत-वो अटल तो आज भी हमारे दिल में रह रहे

वो अटल कहाँ गये ये पूछते धरा-गगन.
वो अटल कहाँ गये ये पूछता है ये चमन.

वो अटल जो आन-बान-शान से जिये सदा.
वो अटल जो गर्व से, गुमान से जिये सदा.
एक वोट के लिए भी जोड़-तोड़ की नहीं,
वो अटल जो पूरे स्वाभिमान से जिये सदा.

वो अटल जो राष्ट्रीय मर्म जानते रहे.
वो अटल जो राष्ट्रधर्म को बखानते रहे.
रार नई-नई ठानते रहे सदा मगर,
वो अटल जो हार कभी भी न मानते रहे.

वो अटल जो काव्य के प्रदीप्त एक दीप थे.
वो अटल जो प्रेम वाली सीपियों के सीप थे.
पक्ष क्या विपक्ष में भी जिनका पूरा मान था,
वो अटल जो इस तरह हर एक के समीप थे.

वो अटल मरे नहीं हैं हम ये सत्य कह रहे.
वो अटल तो अब भी गंग धार संग बह रहे.
काल के कपाल पे जो लिखके-मेट देते थे,
वो अटल तो आज भी हमारे दिल में रह रहे.

डॉ.कमलेश द्विवेदी
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