बे-हाल जिंदगी!!
आज नहीं पता क्यों, है बेहाल जिंदगी ।
बन गई है यादो की, ननिहाल जिंदगी ।।
चेहरे में सिकन, बे मन, कंगाल जिंदगी ।
तूफ़ान लिए, खाड़ी में बंगाल जिंदगी ।।
बुद्धि बढ़ी, दाढ़ी बढ़ी, एक हैरान जिंदगी ।
लगता है सब है पर, है परेशान जिंदगी ।।
बचपन की हंसी फंसी, कोने में जिंदगी ।
लगता है बीत जाएगी, धोने में जिंदगी ।।
नारी -नर में बैठा डर,कसक है जिंदगी ।
बैठा है डर जैसे, कोई मसक है जिंदगी ।।
हैरान है ह्रदय *तलास, चाँद पर जिंदगी ।
खुद जमी पर बन गई सब लाश जिंदगी ।।
इंसान खुद न बन सके, है हैरान जिंदगी ।
तलास में घूमते, कई आसमान जिंदगी ।।
बेहाल है, फटेहाल है, ससुराल है जिंदगी ।
थोड़े दिन की ख़ुशी, विकराल है जिंदगी ।।
— हृदय जौनपुरी