गीतिका/ग़ज़ल

बे-हाल जिंदगी!!

आज नहीं पता क्यों, है बेहाल जिंदगी ।
बन गई है यादो की, ननिहाल जिंदगी ।।

चेहरे में सिकन, बे मन, कंगाल जिंदगी ।
तूफ़ान लिए, खाड़ी में बंगाल जिंदगी ।।

बुद्धि बढ़ी, दाढ़ी बढ़ी, एक हैरान जिंदगी ।
लगता है सब है पर, है परेशान जिंदगी ।।

बचपन की हंसी फंसी, कोने में जिंदगी ।
लगता है बीत जाएगी, धोने में जिंदगी ।।

नारी -नर में बैठा डर,कसक है जिंदगी ।
बैठा है डर जैसे, कोई मसक है जिंदगी ।।

हैरान है ह्रदय *तलास, चाँद पर जिंदगी ।
खुद जमी पर बन गई सब लाश जिंदगी ।।

इंसान खुद न बन सके, है हैरान जिंदगी ।
तलास में घूमते, कई आसमान जिंदगी ।।

बेहाल है, फटेहाल है, ससुराल है जिंदगी ।
थोड़े दिन की ख़ुशी, विकराल है जिंदगी ।।

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से