राजनीति

असम में बंगलादेशी घुसपैठ की समस्या

असम पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा प्रदेश है। इसकी राजधानी दिसपुर (गुवाहाटी) है। गुवाहाटी पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा शहर है जिसे पूर्वोतर का प्रवेशद्वार कहा जाता है। असम का क्षेत्रफल 78,438.00 वर्गकिलोमीटर तथा कुल जनसंख्या 31,169,272 है जिनमे पुरुषों की संख्या 15,954,927 एवं महिलाओं की संख्या 15,214,345 हैं। जनसंख्या का घनत्व (प्रति वर्गकिलोमीटर) 397 है। लिंग अनुपात (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या ) 954 और साक्षरता 73.18 प्रतिशत है। बंगलादेशी घुसपैठ और अन्य धार्मिक कारणों से 2011 की जनगणना के अनुसार असम के नौ जिले मुस्लिम बहुल हो गए हैं जिनके नाम हैं – ग्वालपारा, धुबरी, बरपेटा, मोरीगाँव, नगाँव, करीमगंज, हैलाकांडी, दरांग और बोंगाईगांव। इन जिलों में जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर 20 से 24 प्रतिशत रही है लेकिन शिवसागर और जोरहाट सहित पूर्वी असम के जिलों में जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर केवल 9 प्रतिशत रही है। उल्लेखनीय है कि पूर्वी असम के जिले अंतर्राष्ट्रीय सीमा को स्पर्श नहीं करते हैं। इसलिए इन जिलों में बंगलादेशी घुसपैठ की समस्या अपेक्षाकृत कम है। बंगलादेशी घुसपैठ असम की सबसे बड़ी समस्या है लेकिन राजनैतिक दल इसके प्रति गंभीर नहीं हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र की जनसांख्यिकी निरंतर असंतुलित होती जा रही है। यह असंतुलन भविष्य में विकराल संकट का रूप धारण कर सकता है। निरंतर बंगलादेशी नागरिकों का आगमन अबाध गति से जारी है। परिणामस्वरूप अक्सर स्थानीय नागरिकों एवं अवैध बांग्लादेशियों के बीच संघर्ष होते रहते हैं। कई क्षेत्रों में तो बंगलादेशी नागरिकों का बाहुल्य हो गया है। “2011 की जनगणना के अनुसार असम में मुस्लिम जनसंख्या में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। असम के 27 जिलों में से 8 जिलों में मुस्लिम जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर बहुत उच्च रही। असम के मुस्लिम बहुल जिलों जैसे,धुबरी, ग्वालपाड़ा, बरपेटा, मोरीगांव, नगांव और हैलाकांडी में इस दशक के दौरान जनसंख्या वृद्धि दर 20 प्रतिशत से लेकर 24 प्रतिशत तक रही।”(असम ट्रिब्यून,02 सितम्बर 2014), डॉ नमिता चकमा और डॉ लालपरवुल पखुन्गते ने अपने आलेख रिलीजन इन नार्थ ईस्ट स्टेट्स ऑफ़ इंडिया: ए रिव्यू में लिखा है – “2001 और 2011 की जनगणना का विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि पूर्वोत्तर के राज्यों की धार्मिक बनावट में नाटकीय परिवर्तन हुआ है। नागालैंड को छोड़कर पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में हिंदू जनसंख्या में गिरावट आयी है एवं मणिपुर को छोड़कर सभी राज्यों की मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि हुई है। जनसांख्यिकी में सबसे अधिक परिवर्तन असम (3.3 %) में दर्ज किया गया। इसी प्रकार नागालैंड को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में ईसाइयों की जनसंख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई। केवल नागालैंड में ईसाई जनसंख्या में गिरावट (-2.04) आई है। ईसाई जनसंख्या में सर्वाधिक वृद्धि अरुणाचल प्रदेश(+11.54%) में दर्ज की गई। बौद्ध धर्म को माननेवाले लोगो की जनसंख्या में भी अरुणाचल प्रदेश(-1.26%) एवं सिक्किम(-1.26%) में गिरावट आई है।” स्थानीय मजदूर और छोटे – मोटे कार्य करनेवाले लोग दिल्ली, बंगलौर, मुंबई आदि महानगरों में पलायन कर गए एवं उनका स्थान अवैध रूप से आए बंगलादेशी मजदूरों ने ले लिया। स्थिति की भयावहता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यदि बंगलादेशी मजदूर न रहें तो पूर्वोत्तर में निर्माण उद्योग ठप्प पड जाए। अधिकांश बंगलादेशी अशिक्षित होते हैं और कोई भी काम करने के लिए तैयार रहते हैं। अपेक्षाकृत सस्ता व सरलता से सुलभ होने के कारण असम और अन्य पडोसी राज्यों के निवासी इन बंगलादेशी मजदूरों पर पूर्णतः निर्भर हो गए हैं। बंगलादेशी मजदूरों में से 50 प्रतिशत दैनिक मजदूर हैं जो निर्माण कार्यों तथा खेती के कार्य में लगे हैं, 20 प्रतिशत रिक्शाचालक हैं, शेष होटलों, दुकानों, घरेलू कार्यों में लगे हैं। इन लोगों के लिए मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेन्स आदि सरलता से बन जाते हैं। वोट के मोह में राजनैतिक दल और नीति निर्माता सब कुछ जानते हुए भी घुसपैठ की समस्या से अपनी आँखें बंद रखते हैं । “ जल्द ही जारी होनेवाले धार्मिक समूहों की जनसंख्या पर आधारित जनगणना के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच मुस्लिमों की जनसंख्या में 24 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जिससे देश की कुल जनसंख्या में मुस्लिमों की संख्या 13.4 फीसदी से बढकर 14.2 फीसदी हो गई। हालांकि 1991 से 2001 के दशक में वृद्धि दर के मुकाबले पिछले दशक (2001 – 2011 ) के दौरान मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आई है लेकिन अब भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है जो कि पिछले दशक में 18 फीसदी रही। मुस्लिमों की जनसंख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी असम में हुई। 2001 की जनगणना के मुताबिक असम में मुस्लिमों की जनसंख्या 30.9 फीसदी थी जो एक दशक बाद बढ़कर 34.2 फीसदी हो गई।” (नवभारत टाइम्स, 22 जनवरी 2015 )
बंगलादेशी घुसपैठ की समस्या को लेकर असम में बहुत लम्बा आन्दोलन चला और एक राजनैतिक पार्टी असम गण परिषद (अगप) का गठन किया गया लेकिन अभी तक समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। असमिया मूल के लोगों में यह आशंका घर कर चुकी थी कि वे अल्पसंख्यक बन जायेंगे क्योंकि सीमा पार से लाखों बंग्लादेशी वहाँ आकर बस रहे थे। इसके विरुद्ध 1978 ई. में वहाँ पर एक व्यापक आंदोलन की शुरुआत हुई। आठ वर्षों के पश्चात् 1985 में वहाँ चुनाव हुए। आंदोलनकारियों ने असम गण परिषद नामक एक क्षेत्रीय दल का गठन किया। असम गण परिषद् ने विधान सभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया और प्रफुल्ल कुमार महन्त वहाँ के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1991 में होनेवाले विधान सभा चुनाव में सत्ता कांग्रेस के हाथ में आ गई। बाद में 1996 में पुन: असम गण परिषद को बहुमत प्राप्त हुआ । 2001 के विधान सभा चुनाव में असम गण परिषद की सीटों में कमी आयी और वह मात्र 20 सीटों तक ही सीमित रह गई। अपने अंतर्विरोधों और भ्रष्टाचार के कारण जनता पर असम गण परिषद की पकड़ ढीली होती गई और आज वह असम की राजनीति में हाशिए की पार्टी बनकर रह गई है। जिस उद्देश्य के लिए इस पार्टी का गठन हुआ था उसे पूरा करने में यह पूर्णतः विफल रही है।

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें : 1.अरुणाचल का लोकजीवन (2003)-समीक्षा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य(2009)–राधा पब्लिकेशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 3.हिंदी सेवी संस्था कोश (2009)–स्वयं लेखक द्वारा प्रकाशित 4.राजभाषा विमर्श (2009)–नमन प्रकाशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय (2010)-नमन प्रकाशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा, विश्वभाषा (सं.2013)-नमन प्रकाशन, 4231/1, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत (2018, दूसरा संस्करण 2021)–हिंदी बुक सेंटर, 4/5–बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली–110002 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति (2021)-हिंदी बुक सेंटर, 4/5–बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली–110002 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति (2021)-हिंदी बुक सेंटर, 4/5–बी, आसफ अली रोड, नई दिल्ली–110002 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति (2021)–मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति (2021)–मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ (2021)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली – 110002 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी (2020)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली– 110002 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार (2020)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली– 110002 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम (2020)-मित्तल पब्लिकेशन, 4594/9, दरियागंज, नई दिल्ली–110002 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह-2020)–अधिकरण प्रकाशन, दिल्ली 17.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य(2021) अधिकरण प्रकाशन, दिल्ली 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य(2021)-मित्तल पब्लिकेशन, नई दिल्ली 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति(2021)-हंस प्रकाशन, नई दिल्ली मोबाइल-9868200085, ईमेल:- [email protected]