कविता – अटलजी की यादें… बीता एक माह…
ये समय बड़ा ही धावक है
सदा दौड़ता रहता है
दिन रातों का आना-जाना,
घड़ी-पल से तोलता रहता है
वो गये लगा कल परसों था
वो रहे बीच जो अरसों था
उनके कर्मों का मधुर गान,
कानों में घोलता रहता है ।
ये समय बड़ा ही धावक है
सदा दौड़ता रहता है ।।
आज बीत गया एक महिना
उनके जाने का दिन है ना
दिन-रात तेरा आना-जाना
दूरियां जोड़ता रहता है ।
ये समय बड़ा ही धावक है,
सदा दौड़ता रहता है ।।
उनका ये कहकर जाना
लौटकर बापिस आना
निश्चित तब से मन मेरा
वाट जोहता रहता है ।
ये समय बड़ा ही धावक है,
सदा दौड़ता रहता है ।।
कब बीत गया यूं एक मास
बीतेंगे बरसों यहाँ खास
है अटल कोई जो यादों की,
पोटली टटोलते रहता है ।
ये समय बड़ा ही धावक है,
सदा दौड़ता रहता है ।।
गये अटलजी हमें छोड़
ये मन क्यूं ना रहा उन्हें छोड़
परतें-दर-परतें यादों की,
वो क्यूं , खोलता रहता है ।
ये समय बड़ा ही धावक है,
सदा दौड़ता रहता है ।।
— व्यग्र पाण्डे