“कुंडलिया”
खेती हरियाली भली, भली सुसज्जित नार।
दोनों से जीवन हरा, भरा सकल संसार।।
भरा सकल संसार, वक्त की है बलिहारी।
गुण कारी विज्ञान, नारि है सबपर भारी।।
कह गौतम कविराय, जगत को वारिस देती।
चुल्हा चौकी जाँत, आज ट्रैक्टर की खेती।।-1
होकर के स्वछंद उड़े, विहग खुले आकाश।
एक साथ का है सफर, सुंदर पथिक प्रकाश।।
सुंदर पथिक प्रकाश, नीलिमा गगन सुहाए।
उड़ते भोर बिहान, लौट संध्या घर आए।।
कह गौतम कविराय, किसी को दो न ठोकर।
करो समंदर पार, रहो प्रिय सबका होकर।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी