कविता

फिर भी नशा नही !

तेरा छोड़ के जाना! एक छल था ।
कोई हादसा नही ।

ये जिंदगी है अब, एक टूटा सितारा ।
कोई कहकशां नही ।

पी गया हूँ सारे मैखाने की शराब ।
फिर भी नशा नही ।।

नीरज सचान ।

नीरज सचान

Asstt Engineer BHEL Jhansi. Mo.: 9200012777 email [email protected]