गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

छलक जाती हैं याद करके ये तुम्हें अक्सर
प्यार इन आंखो से छुपाया न गया।

बात आकर कहीं रुक जाती है कहते कहते
हाल ए दिल होठों से बताया न गया।

बड़ी खामोशी से तकती हैं निगाहें तुमको यूं तो
सर तेरे सामने हमसे उठाया न गया।

दिल तो करता है भूल जाएं दिल से तुमको
भूलकर भी तुम्हें हमसे भुलाया न गया।

बेवफा कहके मुझे मुझको कोई इल्जाम तो दे
प्यार तुमसे भी कभी यार निभाया न गया।

है इंतजार तेरा जानिब ये बात हम कहे कैसे
तेरी महफिल में कभी हमको बुलाया न गया

पावनी जानिब सीतापुर

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर