ग़ज़ल
छलक जाती हैं याद करके ये तुम्हें अक्सर
प्यार इन आंखो से छुपाया न गया।
बात आकर कहीं रुक जाती है कहते कहते
हाल ए दिल होठों से बताया न गया।
बड़ी खामोशी से तकती हैं निगाहें तुमको यूं तो
सर तेरे सामने हमसे उठाया न गया।
दिल तो करता है भूल जाएं दिल से तुमको
भूलकर भी तुम्हें हमसे भुलाया न गया।
बेवफा कहके मुझे मुझको कोई इल्जाम तो दे
प्यार तुमसे भी कभी यार निभाया न गया।
है इंतजार तेरा जानिब ये बात हम कहे कैसे
तेरी महफिल में कभी हमको बुलाया न गया
— पावनी जानिब सीतापुर