उनको शीश झुका के सौ- सौ बार नमन…
तन-मन जीवन तक अर्पन कर न्यौछावर जो हुए वतन पर।
उनको शीश झुका कर सौ- सौ बार नमन…
जब दुश्मन ने ललकारा तो भारत माँ की लाज बचाने।
छोड़ लगी हाथों में मेंहदी चले गये जो फ़र्ज निभाने।।
सजी सेज पर बैठी छोड़ गये दुल्हन…
उनको शीश झुका कर सौ- सौ बार नमन…
राखी लिये हाथ में बहना बाट देखते जिनकी हारी।
शून्य लिए बूढ़ी आँखों में गुमसुम- गुमसुम है महतारी।।
बूढ़ा बापू रोता उजड़ा देख चमन…
उनको शीश झुका कर सौ- सौ बार नमन…
अपने पीछे तड़प रहे माँ-बाप छोड़कर चले गये जो।
अपने भी अपनो के भी सब ख्वाब तोड़कर चले गये जो।।
पूरा करने को माटी को दिया वचन…
उनको शीश झुका कर सौ- सौ बार नमन…
जश्न मनाओ देश वासियों, लेकिन उन्हें भुला मत देना।
पल दो पल उनकी यादों का, पानी आँखों में भर लेना।।
सींच लहू से चले गये जो देश चमन…
उनको शीश झुका कर सौ-सौ बार नमन…
सतीश बंसल
०९.०९.२०१८