गीत/नवगीत

उनको शीश झुका के सौ- सौ बार नमन…

तन-मन जीवन तक अर्पन कर न्यौछावर जो हुए वतन पर।
उनको शीश झुका कर सौ- सौ बार नमन…

जब दुश्मन ने ललकारा तो भारत माँ की लाज बचाने।
छोड़ लगी हाथों में मेंहदी चले गये जो फ़र्ज निभाने।।
सजी सेज पर बैठी छोड़ गये दुल्हन…
उनको शीश झुका कर सौ- सौ बार नमन…

राखी लिये हाथ में बहना बाट देखते जिनकी हारी।
शून्य लिए बूढ़ी आँखों में गुमसुम- गुमसुम है महतारी।।
बूढ़ा बापू रोता उजड़ा देख चमन…
उनको शीश झुका कर सौ- सौ बार नमन…

अपने पीछे तड़प रहे माँ-बाप छोड़कर चले गये जो।
अपने भी अपनो के भी सब ख्वाब तोड़कर चले गये जो।।
पूरा करने को माटी को दिया वचन…
उनको शीश झुका कर सौ- सौ बार नमन…

जश्न मनाओ देश वासियों, लेकिन उन्हें भुला मत देना।
पल दो पल उनकी यादों का, पानी आँखों में भर लेना।।
सींच लहू से चले गये जो देश चमन…
उनको शीश झुका कर सौ-सौ बार नमन…

सतीश बंसल
०९.०९.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.