कविता

खेल….

एक समय था
जब जीवन बड़ा सरल था
एक खेल सा था
प्रैक्टिकल था
हार जीत में जीवन का संगीत था
रंग-बिरंगे जीवन, उतार-चढ़ाव था

आज अहं का चढ़ रहा बुखार है
किसी को स्वीकार नहीं हार है
आनन्द प्राप्ति की अगर इच्छा है
समझिए जीवन एक क्रीड़ा है
खूबसूरत सा खेल है
खूबसूरती से खेलना है

खेल में जो आनन्द है लेता
सच्चा खिलाड़ी वही है होता
आज खेल में रस नहीं
परिणाम की चिंता है सताती
जीवन जीने का नहीं तरीका सही
खेल की भावना, जीवन की गहराई
मैदान की तटस्थता,
जीवन को बना देती आनन्दमयी खेल ।

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]