प्रकृति
जब हम अच्छा और बुरा सोचने लगते हैं
और वार करने लगते हैं
नैसर्गिकता पर।
लेकिन प्रकृति ऐसा नहीं करती..
वह जानती है..
क्योंकि
कुछ भी
अच्छा या बुरा नहीं होता है।
बस होता है तो उसे देखने का नजरिया।।
और यह नजरिया तय होता है..
आपने अब तक कितनी प्रकृति देखी है।
प्रकृति जानती है
कि उसका अस्तित्व कतई निरर्थक नहीं है
इसीलिए वह जीवित रहना पसंद करती हैं।
उतनी ही जीवंतता से
प्रकृति होकर
शायद
प्रकृति को
कृत्रिम कह कर नकार भी लिया जाए
लेकिन प्रकृति
सदा जीवित रहती हैं
अपने में।।
— कुशाग्र जैन