मीठी मुस्कान
“मीठी मुस्कान😊
सच कहती है
एक मीठी मुस्कान
न मैं हिन्दु , न सीख
न इसाई , न मुसलमान ।
न मैं गोरी हूं
न रंग मेरा काला
सबके होठों पर
रहती हूं बनके उजाला।
मैं उल्लासित अर्न्तरात्मा
की हूं एक अभिव्यक्ति
सहजता से जीने की
एक संजिवनी शक्ति ।
प्रेमरूपी ओस की बूंदों से
होती हूं मैं सिंचित
हिंसा, द्वेष, घृणा से
होता ह्रदय मेरा व्यिथत ।
न किसी से भेद-भाव
न अलग कोई पहचान
मेरी एक ही भाषा
मुस्कान,एक मीठी मुस्कान ।😊
स्वरचित-ज्योत्स्ना पाॅल