हमारी हिंदी
हिंदी पखवाड़े पर विशेष
कोटि-कोटि कंठों से गूंजी,
हिंदी की नव कोकिल तान,
इस हिंदी पर न्योछावर हैं,
तन-मन-धन और ये प्राण.
हिंदी आन हमारी है अब,
हिंदी ही है सबकी शान.
एक साथ सब मिलकर,
जय हिंदी जय भाषा महान.
तुलसी-मीरा-सूर-रहीमन,
कुतुबन-मंझन इसकी शान,
इसी में छेड़ी तान जिन्होंने,
कबीर-दादू इसकी आन.
पंत-निराला इसके गौरव,
दिनकर-माखन इसके लाल,
गुप्त ने गाए गीत इसी में,
बच्चन जी ने बढ़ाया मान.
वैज्ञानिक है हिंदी भाषा,
लिखने-सीखने में है सरल भी,
राजभाषा की पदवी पाई,
संपर्क भाषा है हम सबकी,
आओ हिंदी को अपनाएं,
इसके गीत मनोहर गाएं,
भारत मां के चरण युगल में,
स्नेह-सिक्त सब सुमन चढ़ाएं.
हिंदी के उपलक्ष में सुन्दर कविता .
हिंदी का उत्थान करने के लिए,
हिंदी का सूर्य बनो,
सूर्य न बन सको तो मशाल ही बनो,
मशाल न बन सको तो दीपक ही बनो,
दीपक भी न बन सको तो जुगनू ही बनो,
पर कुछ बनो और हिंदी का उत्थान करो.