कविता

आखिर सत्ता का उनको भी शुमार नया नया है

वायदे बेचने का ये बाज़ार नया नया है
कहते हैं साहेब का रोज़गार नया नया है

दिल जीत लेते थे अपनी जुबानी कसरतों से
उनको अपनी शोहरत का खुमार नया नया है

कब तक बचे रह सकेंगे नफासत में वो भी
आखिर सत्ता का उनको भी शुमार नया नया है

एक चोट पर इतनी घबराहट क्यों छा गई है
मालूम होता है ये जम्हूरियत बीमार नया नया है

देख भाल के चलना सरकारी महकमों में यहाँ
सभी विपक्षी गुटों में हुआ ये करार नया नया है

सलिल सरोज

*सलिल सरोज

जन्म: 3 मार्च,1987,बेगूसराय जिले के नौलागढ़ गाँव में(बिहार)। शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011), जीजस एन्ड मेरी कॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)। प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका"कोशिश" का संपादन एवं प्रकाशन, "मित्र-मधुर"पत्रिका में कविताओं का चुनाव। सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश। आजीविका - कार्यकारी अधिकारी, लोकसभा सचिवालय, संसद भवन, नई दिल्ली पता- B 302 तीसरी मंजिल सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट मुखर्जी नगर नई दिल्ली-110009 ईमेल : [email protected]