कविता

सद्भावना का ‘प्रकाश

मन में आते रहते
हर पल नए विचार,
मन में रह नहीं पाते है
अब कैसे करूँ सुधार,
‘जय’ हूँ, मन से ही
यही चाहता हूँ–जग में ,
हो प्यार की जय जय कार,
मन सबका हो एक सरोवर
खिलें जहाँ पे कँवल हज़ार
प्यार ही प्यार हो सबके मन में
सदा इक दूजे का करें सत्कार
प्यार में ही बसते परमेश्वर
ऐसा मन में करो विचार
सद्भावना का प्रकाश इतना फैला दो
जगमग जगमग करे सारा संसार
अपनी कलम से एक कर दूं
धरती और आकाश,
दूर दूर तक जग में फैले
सद्भावना का ‘प्रकाश’
–जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845