वास्तविक कला
भोग, विलास, आराम के साधन
ये सब है आलस्य,
आकर्षण के संसाधन
सीमित साधनों संग
है कलात्मक जीवन
सुखद, सौहार्द्र, संतुष्टि
होता है सफल जीवन
विपरीत परिस्थितियों में भी,
तटस्थ, पुरुषार्थ है जीवन
सहज, सरल संतोष
पाकर सार्थक है जीवन
आशा उत्साह हंसी खुशी
अग्रसर रहना है जीवन
सार्थक, सूखकर, श्रेयस्कर
जीने की कला है जीवन।।